Madhu Arora

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लेखनी कहानी -05-Dec-2021 क्या बनाई घरवाली जी

क्या बनाएं घरवाली जी

क्या बनाएं घरवाली जी, 
सुबह शाम की आफत भारी।
किसी को भाए मूंग दाल,
किसी को सब्जी तरकारी जी‌
क्या बनाई घरवाली जी।
किसी को चाहिए ब्रेड बटर,
किसी को आलू पराठा जी‌
किसी को चाहिए पिज़्ज़ा बर्गर,
उलझी सुबह शाम घरवाली जी।
हुई दोपहर आया संदेशा,
दाल ,सब्जी ,भात बना डालो।
बच्चों ने फरमान सुनाया,
पास्ता, मोमोस बना लो जी।
क्या करूं किसकी माने,
फंसी हुई घरवाली जी।
बच्चों को खाने नहीं तरकारी ,
बड़ों को पास्ता मोमोज नहीं।
सुबह शाम की आफत भारी,
कौन बचाए घरवाली जी।
क्या बनाएं घरवाली जी।
किसी को चाहिए चाट पापड़ी,
किसी को हलवे की इच्छा भारी जी।
सुबह शाम की यही है चिक चिक,
क्या बनाएं घरवाली जी।
घरवाली को सुकून मिल जाए,
मैंने लिस्ट बना डाली,
खाना सबका सेट कर दिया ।
यह बात तो सबको बता डाली।
जान कर यह बात प्यारी ,
खुश हो गई घरवाली जी।
झट बनाया मटर पनीर,
गोभी की तरकारी जी।
गरमा गरम पूरी तल दी,
चटनी भी परोसी न्यारी जी।
स्वादिष्ट भोजन खाकर खुश,
मम्मी बोले प्यारी सी।
सुबह शाम की चिक चिक भारी।
क्या बनाए घरवाली जी।।
            रचनाकार ✍️
            मधु अरोरा
  दैनिक प्रतियोगिता के लिए

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1 Comments

Zeba Islam

06-Dec-2021 10:16 AM

Nice

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